जब मुझे ध्यान की आवश्यकता महसूस हुई : शुरुआत बेबसी से [when I feel the need of meditation in my life]
ध्यान शब्द आजकल बहुत प्रचलित है। जिसे देखो वह मेडिटेशन की बात कर रहा है। आखिर मेडिटेशन है क्या और इसको करने के फायदे क्या है ??
meditation meanng in hindi[ध्यान का अर्थ ]
‘meditation’ को हिंदी में ध्यान कहते हैं। ध्यान भारतवर्ष में प्रचलित हज़ारों साल से चली आ रही एक बहुत प्राचीन पद्धति है जिसके द्वारा शरीर ,मन तथा बुद्धि को संतुलित किया जाता है। इसका वर्णन प्राचीन वैदिक ग्रंथों में किया गया है।

ध्यान एक वह अवस्था है जहाँ हम अपने मन को वाह्य जगत से हटाकर अपने अन्तर्मन को जानने तथा समझने की यात्रा का शुभारंभ करते हैं। ध्यान में हम अपने नेत्रों को बंद करके एक ऐसी यात्रा की शुरुआत करते हैं जिसको जानने तथा समझने में पूरा जीवन समाप्त हो जाता है
अध्यात्मिक दृष्टिकोण:
अगर अध्यात्म की दृष्टि से देखे तो ध्यान वह अवस्था है। जहाँ हम आत्मा का परमात्मा से मिलन का आनंद अनुभव करते हैं। ध्यान एक वह भी अवस्था है जहाँ व्यक्ति सुख और दुःख से परे होकर आनंद की अवस्था को प्राप्त कर लेता है। कुछ लोग मोक्ष प्राप्ति के लिए ध्यान लगाते हैं तो कुछ लोग ईश्वर प्राप्ति के लिए भी कठोर तपस्या तथा ध्यान लगते हैं।
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण:
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से, ध्यान एकाग्रता और आत्म-जागरूकता विकसित करने का एक तरीका है। यह तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में भी मदद करता है। ध्यान मन को शांत और स्थिर करता है, जिससे हमें बेहतर निर्णय लेने और समस्याओं का समाधान करने में मदद मिलती है।
शारीरिक दृष्टिकोण
अगर शारीरिक दृष्टिकोण से देखें तो रोज़मर्रा के संघर्ष और तनाव के कारण हमारा मन परेशान रहने लगता है और इस मानसिक तनाव के कारण धीरे धीरे हमारा शरीर भी बीमार पड़ने लगता है और हम बहुत सारी बीमारियों से ग्रसित हो जाते है जिससे हमारे काम करने की क्षमता भी कम हो जाती है। हमारा काम करने में मन नहीं लगता है जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति अपना लक्ष्य प्राप्त करने में मुश्किलों का सामना करता है और हम और ज्यादा मानसिक समस्यायों में घिर जाते है। ध्यान हमारे मन को शांत करने में हमारी मदत करता है जिससे हमारा मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है और इसके प्रभाव से हमारे शरीर का स्वास्थ्य भी सुधरने लगता है और हम विपरीत परिस्थितियों में भी श्रेष्ठ प्रदर्शन करने लगते है।
व्यावहारिक दृष्टिकोण
अगर व्यावहारिक दृष्टिकोण से देखें तो मानसिक समस्यायों का प्रभाव हमारे शरीर की ताक़त को कम करता है ,शरीर अस्वस्थ होने लगता है और शारीरिक अस्वस्थता का दुष्प्रभाव हमें मानसिक तनाव देता है और इस चक्रव्यूह में व्यक्ति उलझता ही चला जाता है जिसका प्रभाव हमारे व्यवहार पर भी पड़ने लगता है। हम चिड़चिड़े, उदास, चिंतित ,बीमार ,निराश, तथा नकारात्मक हो जाते है। हम दूसरों के साथ भी अमानवीय व्यवहार करने लगते है।
ध्यान ही एकमात्र साधन है जो हमें इस चक्रव्यूह से निकालकर हमारे जीवन को सुख ,शांति तथा आनंद से भर सकता है और हम खुश रहकर एक संतुष्ट जीवन जी सकते है।
ध्यान की आवश्यकता[Need of Meditation]
हमें अपने जीवन के हर प्रकार के दुखों को मिटाने के लिए ध्यान करने की आवश्यकता है।

1. हमारे सारे दुखों का कारण हमारा मन है जो प्रतिदिन कुछ न कुछ प्रसन्नता की चाहत हमारे सामने रख देता है और मन को प्रसन्न करने के लिए शरीर और बुद्धि प्रयास शुरू कर देती है लेकिन फिर भी मन कभी खुश नहीं होता है, एक इच्छा पूरी होते ही मन दूसरी इच्छा रख देता है और शरीर और मन मिलकर भी मन को संतुष्ट नहीं कर पाते हैं परिणामस्वरूप हमारा जीवन दुःखों से भर जाता है जो हमसे हमारी सोचने समझने की शक्ति भी छीन लेता है।
ऐसी स्थिति में ध्यान द्वारा हम अपने मन को नियंत्रित तथा संयमित कर सकते है इसलिए ध्यान की आवश्यकता है।
२. जब हमें ज्ञात होता है कि इस दुनिया में सभी कुछ भ्रम है ,सभी संबंध अस्थायी हैं ,शरीर भी एक दिन मृत्यु को प्राप्त हो जायेगा ,सारी भावनाएँ चाहे वे सुखद हो या दुखद….. सभी का एक दिन अंत निश्चित है ,ये जग नश्वर है। तब व्यक्ति बहुत बेचैन होकर सुकून तथा आनंद की खोज के लिए इधर उधर भटकने लगता है। इस प्रयास में जब उसे ध्यान द्वारा थोड़ा सुकून मिलता है तब उसे ध्यान की आवश्यकता की अनुभूति होती है क्योंकि ध्यान ही एकमात्र विकल्प है जहाँ हम सुख, संतोष तथा आराम का अनुभव कर सकते हैं। ध्यान के द्वारा हम हमारी ज़िंदगी में ठहराव ला सकते है।
३. . हम हमारी ज़िंदगी में कठिनाइयों का सामना प्रतिदिन करते हैं। हमारा जीवन संघर्षों से भरा हुआ है। हर क्षेत्र में प्रतियोगिता बहुत बढ़ गयी है। हर व्यक्ति अपनी पढ़ाई ,नौकरी ,दूसरे से आगे निकलने की होड़ ,स्वयं को सर्वश्रेष्ठ साबित करने की होड़ में लगा हुआ हैं। इसके अलावा महंगाई ,बेरोजगारी, भ्रष्टाचार , बढ़ती जनसंख्या की वजह से पैदा होने वाली समस्याएँ और भी न जाने कितनी अनगिनत समस्यायों की वजह से व्यक्ति का जीवन दुःख, तनाव, अवसाद ,चिंता, कुंठा तथा निराशा से भर जाता है। इन परिस्थितियों से निकलने के लिए ध्यान ही एकमात्र विकल्प है।
४. आजकल हमारी जीवनशैली ऐसी हो गयी है कि सभी लोग भीड़ में भी अकेले है। लोग दूसरों से मिलना जुलना पसंद नहीं करते। लोग आत्मकेंद्रित तथा स्वार्थी हो गए हैं। कुछ व्यक्ति तरक्की करने के लिए दोस्ती तथा रिश्ता भी दांव पर लगाने को तैयार है। लोगों की संवेदना स्वार्थ के पीछे कहीं छुप गयी हैं। लोग बिना मतलब के रिश्ता ही नहीं बनाते हैं और इसी कारण सब अकेले हैं। उनके संघर्ष ,दुःख , तनाव तथा निराशा को बाँटने वाला कोई नहीं है, इस कारण वे मानसिक समस्यायों से घिर जाते हैं। कुछ कुछ लोग तो गोलियों का भी सहारा लेना शुरू कर देते हैं।
इस तनाव तथा निराशा को दूर करने के लिए ध्यान का सहारा लिया जाना चाहिए क्योंकि ध्यान द्वारा ही हम इन समस्याओं का समाधान ढूँढ सकते हैं।
५. आजकल छोटे छोटे बच्चे भी तनाव से अछूते नहीं हैं। उनपर उनके माता -पिता , स्कूल तथा समाज का बहुत दबाव होता है। माता पिता अपने बच्चों को हर क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए उनपर बहुत दबाव डालते हैं। कई बार बच्चों को उस कार्य में रुचि नहीं होती या उनमें उस कार्य को करने की योग्यता नहीं होती हैं परिणामस्वरूप बच्चे छोटी सी आयु में तनाव के शिकार हो जाते हैं इसलिए उन्हें भी उनके बचपन से ही ध्यान करने की आवश्यकता है जिससे वे बचपन से अपनी भावनाओं को संतुलित करना सीख पाए और एक सुखी तथा सफल जीवन जीने में सक्षम हों।

६. रिश्तों में असफलता भी बहुत बड़े दुःख का कारण बन जाता है। सबसे ज्यादा लोग रिश्तों की नाकामयाबी की वजह से ही टूटकर बिखर जाते हैं। लोग दुःख ,तनाव तथा नकारात्मक से ऐसे घिर जाते हैं कि अपने जीवन से ही निराश हो जाते हैं। यहाँ अध्यात्म के साथ ध्यान ही उन्हें वापस खुशियाँ की तरफ मोड़ पाता हैं।
७. ध्यान के द्वारा हम ईश्वर को भी जान तथा समझ सकते हैं। बड़े -बड़े महान ऋषि -मुनियों ने ध्यान का ही सहारा लेकर ईश्वर को प्राप्त किया है। .
अतः आजकल के परिवेश को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि ध्यान की आवश्यकता सभी व्यक्तियों को है। ज़िंदगी में किसी भी तरह की परेशानी हो ,शारीरिक ,मानसिक ,आध्यात्मिक ,सामाजिक.. ध्यान सबके जीवन में ठहराव लाता है उससे सभी प्रकार के दुःख तथा चिन्ताएँ बहुत हद तक नियंत्रित हो जाती हैं।
जब मुझे ध्यान की आवश्यकता महसूस हुई : शुरुआत बेबसी से [when I feel the need of meditation in my life]
ध्यान की आवश्यकता मैंने उस समय महसूस की जब मेरे मन पर चिंता ,भय, असंतुष्टि, उम्मीदों में उलझ गया था। मैं इतनी बेबस थी कि समझ ही नहीं आता था कि क्या करूँ ? मेरा जीवन मेरे अधीन नहीं था। मैं ऐसा जीवन जी रही थी जहाँ मेरा मन, शरीर तथा बुद्धि एक दूसरे का साथ नहीं दे रहे थे। मैं अपने मन के अधीन इस तरह हो चुकी थी कि मेरे शरीर पर मेरा बस नहीं था। मेरा मन मुझे डराता था, मुझे अत्यधिक चिंता होती थी, जितना मुझे तकलीफ़ होती, मेरा मन अकेलेपन से घबराने लगता और मेरे मन का डर तथा चिंता और अधिक बढ़ जाती थी। मैं बहुत ज्यादा निराश हो जाती और मेरे शरीर में बीमारी और अधिक बढ़ जाती थी। मैंने अपने चारों तरफ डर की एक दीवार बना ली थी। मैं अपने मन को नियंत्रित नहीं कर पा रही थी। मैं चाहती थी, मैं खुश रहूँ लेकिन मेरा मन मेरा साथ नहीं देता था। मैं चाहती थी कि मेरा शरीर मेरा कहना माने लेकिन उसने तो मुझसे विद्रोह कर दिया था। जब मैं हँसना चाहती थी तो मैं और ज्यादा रोती थी। मेरा मन लोगों से मिलने में डरता था कि न जाने कौन क्या बोल दे और मैं आहत हो जाऊँ या कोई कुछ बुरी खबर मुझे सुना देगा तो मेरे हाथ पैर ऐंठने लगेंगे तो मुझे कौन सँभालेगा। मैं इतना इसलिए डरती थी क्योंकि मेरा मन और शरीर मेरे हर बुरे अनुभव पर प्रतिक्रिया देना शुरू कर देते थे ,मेरा शरीर ज़ोर ज़ोर से काँपता था ,मेरे हाथ अंदर की तरफ़ ऐंठने लगते और मेरा दिल बैठने लगता। मैं असहाय सी बिस्तर पर गिर जाती। मैं बहुत कोशिश करती थी कि मेरी ऐसी हालत न हो। मैं अपने मन से निरंतर झगड़ा करती थी कि मैं इतना कमज़ोर नहीं हो सकती, मैं बहुत मजबूत हूँ। लोग अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से कुछ भी हासिल कर लेते है और मैं अपने शरीर और मन को नहीं सँभाल पा रही थी । मुझे अकेले रहने में बहुत डर लगता था और उतना ही ज्यादा अकेलापन महसूस करती थी मैं, क्योंकि मेरा शरीर, मन और मस्तिष्क सब मुझे डराते थे। लोगों को सोने में सुकून मिलता था और मुझे सोने से सबसे ज्यादा डर लगता था क्योंकि लेटने पर मेरा शरीर बहुत देर तक काँपता रहता था। मैं आधी रात में किसको उठाकर कहती कि मुझे बहुत डर लग रहा है तो मैंने स्वयं की मदत करना शुरू किया , खुद को समझाना शुरू किया। इस प्रयास में मेरी बेटी ने भी साथ दिया और फिर कई महीने की असफल कोशिश के बाद मुझे थोड़ी सफलता मिलनी शुरू भी हो गयी। अब मैं पहले से थोड़ा बेहतर महसूस करने लगी थी ।
ध्यान की शक्ति: एक शुरुआत ध्यान की [ अंजाने में एक बीज बो दिया था मैंने ]power of meditation
जब आप दर्द में रहते हो तो दो ही रास्ते होते है आपके पास…..
१. या तो दर्द को स्वीकार कर लो।
२. या तो उसे दूर करने के लिए भिड़ जाओ।
मैंने दूसरा रास्ता चुना, वैसे भी दर्द में रहना किसे अच्छा लगता है। मैंने सोचा मेरा दिमाग जो मुझे बता रहा है वह मैं नहीं सुनूँगी। सोचना तो आसान था लेकिन उसे अपने जीवन में उतारूँ कैसे। इसके लिए मैंने एक बल्ब का सहारा लिया जो मेरे कमरे के बाहर जला करता था। मैं लेटने के पहले से ही उस बल्ब को एकटक देखने लगती और लेट जाती ,मेरा ध्यान बार बार मेरे काँपते शरीर की तरफ जाता और मैं जबरन अपना ध्यान उस बल्ब की ओर लगाती , कई दिनों के असफल प्रयास के पश्चात् मुझे थोड़ी सफलता मिल पायी थी। बाद में पता चला कि अनजाने में मैंने ध्यान की शुरुआत कर दी थी और धीरे धीरे ध्यान की वजह से मैं पुनः अपने जीवन में कुछ करने लायक बन पायी।
ध्यान के फ़ायदे [benefit of meditation]

ध्यान के द्वारा मन को एकाग्र करके शांत रखने का प्रयास किया जा सकता है। ध्यान ही वह माध्यम है जिसके निरंतर अभ्यास से हम हमारी ज़िंदगी में संतुलन, ठहराव ला सकते हैं। ध्यान हमें हमारी मानसिक व्याधियों जैसे तनाव, चिंता, कुंठा ,निराशा तथा अनिद्रा से बाहर लाने में सक्षम है। ध्यान के निरंतर अभ्यास द्वारा हम अपने मन को नियंत्रित करना सीख लेते हैं जो हर परेशानी की जड़ है।
ध्यान की अवस्था में दुःख, चिंता तथा किसी भी तरह की परेशानियों के लिए कोई जगह नहीं है।
यहाँ आनंद ही आनंद है और इसीलिए सभी लोग कभी न कभी ध्यान लगाने का प्रयास करते ही हैं या meditation के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। मन में उठ रहे बेलगाम विचारों को प्रशिक्षित करके संतुलन की अवस्था में लाना सिर्फ ध्यान द्वारा ही संभव है।
आज तो देश -विदेश सभी जगह लोग meditation [ध्यान ]को अपने जीवनचर्या में अपनाकर शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ होने का प्रयास कर रहे हैं।
तो आइये ,आज से हम सब भी ध्यान को अपने जीवन में अपनाकर एक आनंदमय जीवन जीने की शुरुआत करें।
मेरे लिए ध्यान क्या है [what is meditation for me]
ईश्वर की बनायी हुई अद्भुत दुनिया के बारे में सोचकर मंत्रमुग्ध हो जाती हूँ। साँसों का रिदम में आना जाना ,साथ ही सूर्य, चन्द्रमा तारे ,पेड़-पौधे ,पर्वत , तालाब ,झरने ,पशु -पक्षी ,बहती हुई शीतल पवन और न जाने क्या क्या। .. मैं उस सर्वशक्तिमान ईश्वर का ध्यान लगाकर खुद पर गर्व महसूस करती हूँ कि हम सब भी तो उस ईश्वर का अंश हूँ जो इतना शक्तिशाली है तो मैं इतना लाचार और बेबस कैसे हो सकती हूँ। बस हम सब अपनी शक्ति भूल गए हैं हनुमान जी की तरह। तो हे प्रभु .. मुझे भी अपनी शरण में लीजिये और मुझे मेरी खोई शक्ति याद दिलाइये जिससे मैं भी बहुत शक्तिशाली बनकर अपना वह लक्ष्य पूरा कर सकूँ जिस काम के लिए आपने मुझे इस धरती पर भेजा है।
साथ ही अपने आप को ये विश्वास दिलाती हूँ कि इस पूरी दुनिया में एक शक्ति है जो मेरे लिए हर समय मौजूद है ,वह हमें हमेशा सँभाल कर रखेगा ,वह कभी भी कुछ भी गलत नहीं होने देगा। वह एकमात्र है जिसे हम सबकी सबसे ज्यादा परवाह है।
अगर कभी वह कुछ गलत भी करता है तो सिर्फ इसलिए की वह हमें आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करता है या हमें कुछ सीखाना चाहता है, उससे बड़ा शुभचिंतक हमारा कोई नहीं है।
फिर अपनी हर साँस के साथ ईश्वर की ऊर्जा को अपने शरीर में आते हुए कल्पना करती हूँ और सारी नकारात्मक ऊर्जा, पाप, ईर्ष्या ,क्रोध तथा सारे विकार साँस के साथ बहार छोड़ देती हूँ। अपने आप को ईश्वर के चरणों में समर्पित करते हुए प्रार्थना करती हूँ कि हे सर्वशक्तिमान ईश्वर ! मैं बहुत अज्ञानी हूँ। मुझे नहीं पता कि तुझे कैसे प्राप्त करना है , तेरी भक्ति कैसे करनी है ,बस इतना पता है कि तेरे नाम में सुकून है वह पूरी दुनिया में नहीं है ,दुनिया सिर्फ दर्द देती है और तू हर दर्द को हर लेता है बस इसलिए तेरे चरणों में खुद को समर्पित करती हूँ अपनी हर अच्छाई और बुराई के साथ। बस अब ये तेरे ऊपर है कि चाहे तो कुंदन बना दे चाहे तो तू भी ठुकरा दे। …. लेकिन मुझे ये विश्वास है कि मेरे ऊपर आपका हाथ है और आप मुझे अपनी शरण में ले रहे हैं।
सुझाव
वैसे तो प्राचीन भारत से लोग ईश्वर को प्राप्त करने के लिए ध्यान लगाते आ रहे हैं। इसमें कोई नई बात नहीं है। लेकिन ये आज की ज़रूरत ज़रूर बन चुका है।
मैं जानती हूँ कि बहुत लोग हैं यहाँ जो शारीरिक तथा मानसिक तकलीफों का सामना हर दिन कर रहे हैं , कभी वे भी बहुत निराश हो जाते होंगे मेरी तरह।
मैं उन सबसे कहना चाहती हूँ कि एक प्रयास शुरू करो , खुद की मदत स्वयं करो , क्योंकि आप ही वह व्यक्ति है जो आपकी सबसे बेहतर मदत कर सकते हैं।
और अगर मैं कर सकती हूँ तो आप तो निश्चित ही कर सकते हैं।
मैंने अपना अनुभव यहाँ इसलिए साझा किया है कि आप सब भी ध्यान द्वारा अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में सफल हो पाए और अपने दुःख तथा तनाव से आज़ाद हो जाये।
This was really informative. It helped me to calm down my stress
Bhot khub
Excellent journey of how meditation can improve our conditions through mental toughness. Very nicely explained