सफल लोगों की असफलता की कहानी

सफल लोगों की असफलता की कहानी श्रृंखला में मेरी दूसरी कहानी है अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की।
अब्राहम लिंकन जब अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे ,उस वक़्त उनकी आयु 52 वर्ष की थी। राष्ट्रपति बनने के पूर्व अपने सम्पूर्ण जीवन में इन्होंने बहुत असफलताओं का सामना किया लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी ।
अब्राहम लिंकन का जन्म 1809 में केंटकी के एक जंगल में हुआ था। उनके पिता एक अग्रणी और किसान थे और उनकी माँ बहुत ही धार्मिक महिला थीं । लिंकन के युवा होते ही इनकी माँ की मृत्यु हो गई थी। उनके पिता की दूसरी पत्नी लिंकन की बहुत बड़ी प्रशंसक थीं और कहा जाता है कि उन्होंने ही उनके सीखने के प्रति प्रेम को बढ़ावा दिया था। लिंकन का जीवन असफलताओं से भरा हुआ था तो क्या लिंकन असफल कहलायेंगे ? बिल्कुल नहीं … क्योंकि इन्होंने अपनी असफलताओं के आगे हार नहीं मानी थी इसलिए इन्होंने अपना नाम सफलतम लोगों की श्रेणी में दर्ज़ करवाया ।
यदि अमेरिका के राष्ट्रपति असफल व्यक्ति होते तो हम आज उनकी कहानी जानने और समझने का प्रयास नहीं कर रहे होते । लिंकन इस धरती के सफलतम लोगों में से एक थे । क्यों ??? क्योंकि इन्होनें तब तक प्रयास किया जब तक ये सफल नहीं हो गए ।
अब्राहम लिंकन की असफलताओं की कहानी

1832 – चुनाव में हार: लिंकन 1832 में इलिनॉइस राज्य की विधानसभा के लिए चुनाव लड़े लेकिन वे हार गए। यह उनकी पहली राजनीतिक असफलता थी।
1858 – सीनेट चुनाव में फिर से हार: लिंकन ने 1858 में फिर से सीनेट के चुनाव में हिस्सा लिया, जिसमें उनकी हार ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
1856 – उपराष्ट्रपति पद के लिए असफल प्रयास: 1856 में लिंकन को उपराष्ट्रपति पद के लिए नामित किया गया था, लेकिन वे इस पद पर नहीं चुने गए।
1854 – सीनेट चुनाव में हार: लिंकन ने 1854 में अमेरिकी सीनेट के चुनाव में हिस्सा लिया, लेकिन वे फिर से हार गए।
1848 – कांग्रेस की सदस्यता से बाहर: लिंकन 1846 में अमेरिकी कांग्रेस के लिए चुने गए, लेकिन 1848 में फिर से चुनाव लड़ने पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा और वे अपनी सीट खो बैठे।
1843 – कांग्रेस चुनाव में हार: 1843 में, लिंकन ने अमेरिकी कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
1838 – चुनावी हार: 1838 में, लिंकन इलिनॉइस विधानसभा के लिए फिर से चुनाव लड़े, लेकिन इस बार भी वे हार गए। लगातार हारों ने उन्हें मानसिक रूप से और अधिक मजबूत बनाया।
1836 – मानसिक अवसाद: लिंकन ने 1836 में गंभीर अवसाद का सामना किया। वह जीवन से निराश हो गए थे, लेकिन उन्होंने खुद को संभाला और आगे बढ़ने की ठानी।
1835 – व्यक्तिगत दुःख: लिंकन की मंगेतर की 1835 में मृत्यु हो गई, जिससे वे गहरे मानसिक तनाव में आ गए। यह उनके जीवन का सबसे दर्दनाक समय था।
1833 – व्यवसाय में असफलता: लिंकन ने 1833 में एक व्यवसाय शुरू किया , एक जनरल स्टोर खोला, लेकिन कुछ समय बाद ही उनका व्यवसाय बंद हो गया।
अब्राहम लिंकन की असफलताओं की कहानी उनकी जिंदगी के संघर्ष और उनके अदम्य साहस की मिसाल है। उन्होंने अपने जीवन में कई बड़े संघर्षों का सामना किया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। उनके जीवन की असफलताओं और चुनौतियों को जानकर हम समझ सकते हैं कि किस तरह उन्होंने बार-बार असफलताओं के बावजूद सफलता प्राप्त की।
अब्राहम लिंकन की सफलता
1860 में, तमाम असफलताओं और संघर्षों के बाद अब्राहम लिंकन को आखिरकार सफलता मिली। वे अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति चुने गए। सोचिये , अगर लिंकन ने असफलताओं के आगे अपना सिर झुका दिया होता तो क्या उनका नाम कभी महानतम लोगों की श्रृंखला में दर्ज़ होता ??
इस कहानी से सीख
अब्राहम लिंकन की कहानी हमें यह सिखाती है कि असफलताएँ हमारे जीवन का हिस्सा है। असफलता सफलता की राह की वे सीढ़ियां हैं जिन्हें बिना चढ़े हुए सफलता की मंज़िल को प्राप्त करना बहुत मुश्किल है । इसलिए हमें अपनी असफलताओं से सीख लेकर खुद को और मजबूत तथा योग्य बनाने का प्रयास करना है।
अब्राहम लिंकन का जीवन हम सबको यह संदेश देता है कि धैर्य, परिश्रम और आत्मविश्वास के साथ हर कठिनाई का सामना किया जा सकता है और अंततः सफलता प्राप्त की जा सकती है बस शर्त ये है कि हमें तब तक असफल होना है जब तक हम सफलता के फल का स्वाद न चख लें अर्थात असफलता से घबराना नहीं है, बल्कि बार बार प्रयास करते रहना है क्योंकि
करत करत अभ्यास ते, जड़मति होत सुजान
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