मनुष्य प्रकृति का अंग , प्रकृति से खिलवाड़ , दुष्प्रभाव और दूर करने के उपाय 

अगर प्रकृति सुरक्षित रहेगी तो मानव भी सुरक्षित रहेगा

प्रकृति और मानव का अटूट संबंध है। यह यथार्थ है कि जैसे-जैसे हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं ,वैसे वैसे हम अपने लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं । यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि मानव जीवन का अस्तित्व ही प्रकृति पर निर्भर है लेकिन हम यानी मनुष्य इतने स्वार्थी हैं कि जो हमें जीवन देता है ,हम उसी को समाप्त कर रहे हैं।

मानव और प्रकृति एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। यह मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा सच है कि प्रकृति के कारण ही हम जीवित रह पाते हैं । लेकिन आजकल मनुष्य अपने स्वार्थ के कारण प्रकृति से खिलवाड़ कर रहा है, जो पर्यावरण पर और मानव जीवन पर बुरा प्रभाव डाल रहा है। प्रकृति के साथ खिलवाड़ हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी संकट की स्थिति उत्पन्न करने वाला है और इस चीज के लिए हमारी आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगी क्योंकि दिन प्रतिदिन हम उनका जीवन बहुत मुश्किल बना रहे हैं ,उनको संकट में डालने के सारे इंतजाम कर रहे हैं और आज भी हम इस बारे में नहीं सोच रहे हैं और ना ही प्रकृति संरक्षण के लिए कुछ कार्य कर रहे हैं। 

इस निबंध में हम प्रकृति से खिलवाड़ करने के कुछ बुरे परिणामों और उनसे बचने के उपायों पर चर्चा करेंगे।

मनुष्य प्रकृति का एक अभिन्न अंग है। हमारी हवा, पानी, भोजन और यहाँ तक कि हमारी सांस्कृतिक विरासत भी प्रकृति पर निर्भर करती है। प्रकृति हमें प्राकृतिक संसाधन प्रदान करती है, जैसे कि खनिज, तेल और गैस जिनका उपयोग हम अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए करते हैं। जंगल, नदियाँ, पहाड़, और महासागर सभी हमारे जीवन को स्थिरता प्रदान करते हैं। यदि हम प्रकृति का सही ढंग से संरक्षण करें, तो यह हमें सुरक्षा और संतुलित जीवन प्रदान करेगी।

मनुष्य ने विकास की अंधी दौड़ में प्रकृति का अंधाधुंध दोहन किया है। पेड़ों की कटाई, जल स्रोतों का दूषित होना, वायु प्रदूषण, भूमि का बंजर होना आदि प्रकृति से खिलवाड़ के प्रमुख उदाहरण हैं। अत्यधिक औद्योगीकरण और शहरीकरण ने भी प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ा दिया है।

बंजर होती भूमि तथा पानी की कमी मानव द्वारा प्रकृति के साथ खिलवाड़ का परिणाम है

जिस तरह से मानव पेड़ों की कटाई कर रहा है शहर बसाने के लिए, यह एक दिन तबाही लाने वाला है। पेड़ काटने से पहले हम यह भूल जाते हैं कि हम अपनी ऊर्जा , अपनी साँसों यानी ऑक्सीजन ,अपना खाना जो हमें प्रकृति से मिलता है, इसके अतिरिक्त बहुत सारे संसाधन जो सब हमारी प्रकृति की देन है- हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ करके अपने सारे संसाधनों को भी खत्म कर रहे हैं और अपने जीवन को संकट में डाल रहे हैं। हम मानव जाति अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी मार रहे हैं और मानव जीवन के अस्तित्व को जानबूझकर खत्म कर रहे हैं। 

 बढ़ती जनसंख्या भी मानव को प्रकृति के संग खिलवाड़ करने के लिए मजबूर कर रही है लेकिन फिर भी हम जनसंख्या पर काबू पाने में समर्थ नहीं हो पा रहे हैं। लोगों को बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणामों को नहीं समझा पा रहे हैं। 

दुर्भाग्यवश, अज्ञानता के कारण और कभी स्वार्थवश मनुष्य ने प्रकृति के साथ खिलवाड़ करना शुरू कर दिया है जिसका दुष्परिणाम हमें अपने जीवन में देखने को मिल रहा है।

इस वर्ष यानी 2024 में बढ़ती गर्मी प्रकृति के संग खिलवाड़ का ही दुष्प्रभाव है और अगर इसी तरह हम प्रकृति के संग खिलवाड़ करते रहें तो यह बढ़ती गर्मी लोगों का जीवन ले लेगी। हम इतनी गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे और हमारा जीवन समाप्त हो जाएगा। 

प्रकृति के संग खिलवाड़ से इस धरती पर मानव तथा पशु -पक्षियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। 

कहीं सुनामी , कहीं तूफान , कहीं बाढ़ ,कहीं अत्यधिक गर्मी तो कहीं पर बर्फबारी। वातावरण का संतुलन बिगड़ चुका है। आए- दिन प्रकृति का कहर हम पर टूट पड़ता है और हम उससे बच भी नहीं पाते हैं। प्रकृति से खिलवाड़ जैसी गतिविधियों का विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। जलवायु परिवर्तन, बाढ़, सूखा, और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही हैं। मनुष्य ने स्वयं का ही जीवन मुश्किलों से भर लिया है।

अगर मानव जाति को अपना जीवन सुरक्षित करना है तथा अपने अस्तित्व को बचा के रखना है तो हमें प्रकृति का संरक्षण करना ही होगा ,प्रकृति को समृद्ध करना होगा और प्रकृति के संग खिलवाड़ करना बंद करना होगा। 

जितना ज्यादा प्रकृति सुंदर और सुरक्षित रहेगी, मानव का जीवन भी उतना ही सुंदर और सुरक्षित रहेगा

एक मनुष्य के द्वारा किया हुआ प्रकृति विरोधी कार्य भी प्रकृति को हानि पहुँचाता है इसीलिए हर एक व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों का पालन करना ही होगा, अपने लिए ,अपने बच्चों के लिए। 

  • वृक्षारोपण: हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। पेड़ वायु को शुद्ध करते हैं, वर्षा लाते हैं, और मिट्टी को कटाव से बचाते हैं और सबसे बड़ी बात हमें भोजन देते हैं जो हमारे जीवन के लिए आवश्यक है, हमें ऑक्सीजन देते हैं  बिना साँस लिए हम एक पल भी जीवित नहीं रह सकते।  कल्पना कीजिए की एक दिन हम सुबह सो कर उठे और हमारे पास खाने के लिए भोजन न हो, साँस लेने के लिए ऑक्सीजन ना हो, तो क्या हम जीवित रह पाएंगे? हम बहुत से सुख -साधन के बगैर जीवित रह सकते हैं लेकिन खाना, पानी और ऑक्सीजन के बिना जीवित नहीं रह सकते लेकिन हम गैर -जरूरी साधनों को जुटाने के लिए अति आवश्यक साधनों के स्रोत के संग खिलवाड़ कर रहे हैं। 
  • पर्यावरण संरक्षण: हमें प्रदूषण को कम करने के लिए प्रयास करना चाहिए। कुछ उपाय है वाहनों का कम उपयोग करना या प्रदूषित रहित वाहनों का अधिक उपयोग करना , सरकारी तथा प्राइवेट परिवहन साधनों का अधिक प्रयोग करना। अगर कार का प्रयोग करना हैं तो कई व्यक्ति मिलकर एक साथ मिलकर बारी -बारी से कार का इस्तेमाल करें  जिससे प्राकृतिक संसाधन जैसे पेट्रोल डीजल का कम उपयोग होगा, इससे रास्ते पर भीड़ तथा ध्वनि प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण भी कम हो जायेगा और साथ में आने जाने से व्यक्तियों के बीच दोस्ती और प्यार भी बढ़ सकता है। कचरे का पुनर्चक्रण अर्थात रीसाइकलिंग किया जा सकता है जिससे कचरे के बड़े पहाड़ नहीं बनेंगे और हमारी धरती का एक बड़ा हिस्सा कचरा डालने के लिए नहीं रखना पड़ेगा।   
  • नए संसाधन की खोज करना: हमें जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए अर्थात धरती ने जो हमें प्राकृतिक संसाधन दिए हैं उनका उपयोग थोड़ा कम करना चाहिए वरना यह संसाधन एक दिन समाप्त हो जाएंगे। जो प्राकृतिक साधन अथवा संसाधन हमें धरती द्वारा मिले हैं उनका उपयोग करके हमें अपने लिए संसाधन जुटाने चाहिए और सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, और जल विद्युत जैसे नए -नए तरीकों की खोज करके मानव जाति प्रकृति को नुकसान पहुँचाये बगैर अपनी बुद्धिमत्ता के बल पर अपने लिए संसाधन भी जुटा लेगा और प्रकृति को बचाकर अपना जीवन और अपने आने वाली पीढ़ी का जीवन भी सुरक्षित कर लेगा
  • जल संरक्षण: हमें पानी बचाने के लिए प्रयास करना चाहिए। इसका मतलब है कि नल बंद करके दाँतों को साफ करना, कम स्नान करना, और पानी का रिसाव रोकना। पानी को व्यर्थ में ही नहीं बहाना चाहिए। सब्जियों को धोने के बाद उस पानी का प्रयोग पेड़ पौधों को सींचने के लिए कर लेना चाहिए। हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारे ही देश में कई राज्य और क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ पीने के लिए स्वच्छ पानी भी उपलब्ध नहीं है। बहुत से लोग साफ पानी नहीं पीने की वजह से बीमार भी पड़ जाते हैं। अगर हमने प्रकृति के संग खिलवाड़ बंद नहीं किया तो एक दिन इस धरती पर हमारे चारों तरफ पानी ही पानी होगा लेकिन पीने के लिए एक बूँद पानी नहीं होगा।  
  • पर्यावरण जागरूकता: हमें लोगों को प्रकृति के महत्व और इसे बचाने के तरीकों के बारे में शिक्षित करना होगा। हमें लोगों को प्रकृति की महत्ता के बारे में जागरूक करना होगा और उन्हें याद दिलाना होगा कि हम  सबका छोटा- छोटा सा कदम भी हमारी प्रकृति को बचा सकता है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि प्रकृति और मनुष्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। यदि हम प्रकृति की रक्षा करते हैं, तो हम स्वयं की रक्षा करते हैं।
  • सरकारी नीतियां: सरकारों को पर्यावरण की रक्षा के लिए कठोर नीतियां बनानी चाहिए।  जो  लोग भी प्रकृति के संग खिलवाड़ करते हैं , उनके संग सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और जो लोग पर्यावरण को बचाने के लिए अपना योगदान देते हैं उन्हें प्रोत्साहन तथा ऐसी सुविधाएँ देनी चाहिए जिससे वह प्रकृति संरक्षण के कार्य को आगे तक ले जा सके। सरकार को जन-जन में प्रकृति को बचाने के लिए जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है कि अगर हम प्रकृति के संग खिलवाड़ करते हैं तो हम अपने ही जीवन को संकट में डाल रहे हैं। याद रखिए प्रकृति के विनाश में हम सब की भागीदारी है, हम सब मिलकर प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे है।  
    अगर आज भी हम प्रकृति को बचाने के लिए कदम नहीं उठाते हैं तो वह दिन दूर नहीं जब इस धरती से मानव तथा जीव- जंतुओं का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। प्रकृति अनमोल है। मनुष्य सदा से ही प्रकृति पर निर्भर है। प्रकृति के बिना मनुष्य का जीवन संभव नहीं है। हम सबका एक छोटा कदम भी प्रकृति – संरक्षण में थोड़ा सहयोग जरूर करेगा, जो करना हमारी जिम्मेदारी भी है तो आज से ही हम सब मानव जाति को अपने-अपने स्तर पर प्रकृति संरक्षण के लिए प्रयास शुरू कर देना चाहिए। 
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2 thoughts on “ प्रकृति की रक्षा मानव की सुरक्षा ”
  1. बहुत ही जानकारीपूर्ण और आंखे खोलने वाला लेख है। पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों को सामूहिक रूप से निश्चित ही बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।

  2. जानकारीपूर्ण लेख है। विषय चयन भी आज की परिस्तिथी के अनुकूल है । यह निबंध निश्चित ही सबके लिए उपयोगी होगा ।

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