खुश कैसे रहे ?, खुश रहने के लिए ये करो …..
नज़रिया क्या है , नज़रिया के प्रकार , सकारात्मक नज़रिये का जीवन में महत्व

हमारा नज़रिया ही हमें खुश रखता है
नज़रिया हमारी वह आँख है जिससे हम दुनिया को देखते और समझते हैं। असल में हम दुनिया को वैसे नहीं देखते, जैसे की वह होती है बल्कि अपनी सोच के हिसाब से हम उसे देखते और परखते है।
हम इसे एक उदाहरण की मदद से आसानी से समझ सकते है , जैसे एक गिलास पानी से आधा भरा हुआ हो तो यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह इस गिलास को आधा भरा कहता है या आधा खाली। इसी प्रकार से हमारी ज़िंदगी में रोज़ कुछ न कुछ घटनाएँ होती हैं। अब ये हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम इन घटनाओं को नकारात्मक रूप में लेकर अपने जीवन से निराश हो जाते हैं या इन घटनाओं को अवसर मानकर अपने जीवन को सफलता तथा खुशियों भर लेते हैं।
इस उदाहरण के समान व्यक्ति के नज़रिये के अनुसार उसका जीवन भी खुशियों से भरा या खाली होता है | किसी व्यक्ति के जीवन की सफलता उसके नज़रिये पर निर्भर करती है। कोई व्यक्ति अपने सकारात्मक नज़रिये के बलबूते इस दुनिया के किसी भी क्षेत्र में सफलता के झंडे फहरा सकता है।
इसका मतलब तो ये हुआ कि नज़रिया हमारे सुख दुःख , हमारी अत्यधिक चिंता करने की आदत ,हमारी सफलताओं तथा हमारी परेशानियों को बहुत हद तक प्रभावित करता है तो इसका अर्थ तो ये हुआ कि यदि हमें अपने जीवन में खुशियाँ चाहिए तो हमें अपना नजरिया सकारात्मक रखना ही होगा।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विलियम जेम्स ने कहा था – “हमारी पीढ़ी की सबसे बड़ी खोज यह है कि इंसान अपना नज़रिया बदल कर अपनी ज़िंदगी को बेहतर बना सकता है।” तो आइये हम नज़रिये के बारे में विस्तार से पढ़ते हैं।
सकारात्मक नज़रिया अपनाने के बाद कुछ सत्य हमें अच्छे से समझ आ जाता है जो हमारी ज़िंदगी को खुशियों तथा सफलता से भर देता है
सकारात्मक व्यवहार हमें ये ज्ञान देता है कि हमारा नियंत्रण सिर्फ हमारे स्वयं के ऊपर है ,पूरी दुनिया को बदलने का प्रयास करेंगे तो दुःख के सिवा कुछ नहीं मिलेगा। यह ज्ञान हमें जीवन का बड़ा फलसफा देता है कि
* हर व्यक्ति ,वस्तु अथवा घटना में बुराई देखने की बजाय अच्छाई ढूँढने पर ज्यादा ध्यान दो इससे हमारी दूसरों से शिकायतें थोड़ी कम हो जाएगी और जीवन में थोड़ी शांति रहेगी।
* दूसरी बात जब अच्छाई ढूँढेंगे तब हमारा ध्यान समस्या से ज्यादा समाधान पर होगा जिससे जीवन में नए नए अवसर दिखने शुरू हो जायेंगे।
* तीसरी बात ये अच्छे से समझ आ जाएगा कि जिन घटनाओं को बदलना हमारे वश में नहीं हैं वहाँ कितना भी प्रयास कर लो सफलता नहीं मिलेगी , वहाँ सिर्फ दर्द मिलेगा इसलिए ऐसी परिस्थिति में स्वयं का रास्ता ही बदलना होगा। इसे एक उदाहरण द्वारा समझने की कोशिश करते हैं – मान लीजिये आपने अपने जीवन का लक्ष्य एक ऐसे भवन तक पहुँचने का बनाया है जहाँ अंदर जाने के लिए कोई दरवाज़ा ही नहीं है तो क्या करेंगे आप ? अंदर जाने के लिए भवन की दीवार से टकरा-टकरा कर अपना सिर फोड़ लेंगे ? और कब तक आप अपना सिर फोड़ेंगे ?? उस भवन की दीवार का तो कुछ नहीं बिगड़ेगा ,आप ज़रूर लहूलुहान हो जायेंगे। एक न एक दिन तो आपको ये समझना ही होगा कि आप कितनी भी कोशिश कर लें लेकिन उस भवन के अंदर आप प्रवेश नहीं कर सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में क्या करेंगे आप ? अपनी ज़िंदगी को दर्द और निराशा में डूबो देंगे ? एक ही जीवन मिला है हम सबको , इसे खुशियों के साथ जीना है या काटना है ? अगर आप खुशियों को चुनते हैं तो आपको अपना रास्ता तथा अपनी मंज़िल को बदलना ही पड़ेगा।
* चौथी बात ये अच्छे से समझ आ जायेगा कि बिना मेहनत किये ज़िंदगी में कुछ भी हासिल नहीं होता है। जिन परिस्थितियों को बदलना आपके वश में है उसे बदलने के लिए पूरा प्रयास करना चाहिए और जो हम नहीं बदल सकते उसे स्वीकार करके स्वयं को बदलने का प्रयास करना चाहिए। जो लक्ष्य आप हासिल कर सकते हैं ,उसे प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करें। जिस कार्य को अंजाम तक पहुँचाना आपके वश में हैं उसे करने के लिए अपनी जान लगा दें जब तक आप सफल नहीं हो जाते हैं।
सकारात्मक नजरिया किसी के भी जीवन को सुखमय तथा सफल बनाने के लिए बहुत आवश्यक है। अगर हमारा स्वभाव सकारात्मक तथा आशावादी है तब तो बहुत अच्छा है लेकिन अगर नहीं है तो भी इसे सकारात्मक बनाना ही होगा ताकि हम एक आनंदमय तथा संतुष्ट जीवन का आनंद उठा सके।
नज़रिया के प्रकार
नज़रिया दो प्रकार के होते हैं।
१. सकारात्मक नज़रिया
२. नकारात्मक नज़रिया
सकारात्मक नज़रिया
सकारात्मक नज़रिया का हमारे जीवन में उतना ही महत्व है जितना कि खाने में नमक। जिस प्रकार बिना नमक के खाना बेस्वाद लगता है उसी प्रकार बिना सकारात्मक नज़रिये के ज़िंदगी से सुख ,चैन, और आराम चला जाता है। ज़िंदगी दुःख , चिंता और निराशा से भर जाती है।

अगर हम अपने जीवन में सकारात्मकता को खो देते हैं तो हमारे जीवन से खुशियाँ भी चली जाती है। किसी कार्य को शुरू करने से लेकर अंजाम तक पहुँचने में सकारात्मक नज़रिया ही हमारी मदत करता है।
किसी कार्य को करने की प्रेरणा भी हमें हमारे सकारात्मक व्यवहार के कारण ही मिलती है। हम अपने सकारात्मक व्यवहार के कारण ही अपनी योग्यता को समझ पाते हैं तथा अपनी ज़िंदगी में आने वाले अवसरों को पहचान पाते हैं। सकारात्मकता के कारण हम अपनी ज़िंदगी को खुशियों से भरने में सक्षम होते हैं।
सकारात्मक व्यवहार के कारण ही हम हमारे जीवन में आने वाली हर समस्याओं या बाधाओं का डट कर सामना करते हैं और इन समस्याओं से कुछ अवसर भी निकल लेते हैं और जीवन में अद्भुत सफलता प्राप्त करते हैं। सकारात्मक व्यवहार वाले व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफल होते हैं। ये हमेशा सीखने को तैयार होते हैं। ये लचीले स्वभाव के होते हैं। सकारात्मक व्यवहार वाले व्यक्ति अपनी गलती को मानकर उसे सुधारने के लिए भी तैयार होते हैं। एक अध्ययन के अनुसार , 85 % मौकों पर किसी इंसान को नौकरी या तरक्क़ी उसके नज़रिये की वजह से मिलती है। हमारा क्षेत्र कोई भी हो , कामयाबी की बुनियाद तो नज़रिया ही है। सकारात्मक व्यवहार वाले अच्छे से जानते हैं कि कोई मौका दोबारा नहीं खटखटाता। इसीलिए सही वक़्त पर सही फैसला लेना बेहद ज़रूरी होता है। सकारात्मक व्यक्तियों को हर कठिनाई में मौके ही दिखायी देते हैं।
आइये इस कहानी के माध्यम से हम सकारात्मक व्यक्तित्व को समझने का प्रयास करते हैं। हम सभी ने डेविड और गोलियथ की कहानी ज़रूर सुनी होगी। गोलियथ एक राक्षस था। इससे सारे गाँव वाले बहुत डरते थे। एक दिन एक 17 वर्षीय लड़का डेविड इस गाँव में आता है और सबको दहशत में देखकर पूछता है ,” तुम लोग इस राक्षस का कुछ करते क्यों नहीं। गाँव वालों ने जवाब दिया ,”क्या तुमने देखा नहीं कि वह इतना बड़ा है कि उसे मारा नहीं सकता। इस पर डेविड ने कहा ,”बात ये नहीं है कि बड़ा होने की वजह से उसे मारा नहीं जा सकता ,बल्कि हक़ीक़त यह है कि वह इतना बड़ा है कि उस पर लगाया गया निशाना चूक ही नहीं सकता। ” इसके बाद डेविड ने गोलियथ को गुलेल से मार डाला। राक्षस वही था ,लेकिन उसके बारे में डेविड के नज़रिये के कारण अब राक्षस गोलियथ मर चुका था।
हम नाकामयाबी को कैसे देखते हैं ,यह हमारे नज़रिये से तय होता है। आशावादी नज़रिये वाले लोग मुसीबतें आने पर ही ज़्यादा मजबूत होकर कामयाबी की उड़ान भरते हैं। सकारात्मक लोगों का विश्वास होता है कि “हर समस्या अपने साथ अपने बराबर का या अपने से भी बड़ा अवसर साथ लाती है।
सकारात्मक व्यक्तियों का आत्मविश्वास देखते ही बनता है। ऐसे व्यक्ति सरल, विनम्र तथा धैर्यवादी होते हैं। ऐसे लोग संवेदनशील भी होते हैं। ये दूसरों के दुःख को भी समझते हैं। ये लोग खुद से तथा दूसरों से भी काफी ऊँची उम्मीदें रखते हैं, उन्हें अपने काम के अच्छे परिणामों की आशा रहती है। ऐसे लोग हर परिस्थिति में खुश रहते हैं। ये लोग जहाँ जाते हैं ,अपने सकारात्मक व्यवहार से वहाँ खुशियाँ ही खुशियाँ भर देते हैं।
नकारात्मक नज़रिया
नकारात्मकता हमारे जीवन को तबाह कर देती है। जिस प्रकार एक गंदी मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है उसी प्रकार नकारात्मकता किसी व्यक्ति के पूरे जीवन को दुःख तथा तनाव में डूबो सकती है।

नकारात्मकता व्यवहार के कारण हमें जीवन में मिलने वाले अवसर भी शोर लगते हैं।। नकारात्मक लोग परेशानियों को ही अपनी किस्मत मानकर असफल हो जाते हैं। नकारात्मकता के कारण हम खुश नहीं रहते है। हर चीज़ में बुराई देखने की आदत होती है ऐसे लोगों को। ज़िंदगी में आने वाले सारे अवसरों को ये लोग गवाँ देते हैं। ऐसे लोग काम नहीं करने के बहाने तलाश करते हैं। इन्हें बस दूसरे लोगों के काम में या व्यवहार में नुक्स निकालना अच्छा लगता है। इनके संबंध कड़वाहट से भरे होते हैं। इनकी ज़िंदगी बेमक़सद हो जाती है। नकारात्मक नज़रिये वाले लोगों के लिए दोस्ती, नौकरी, रिश्तों और संबंधों को कायम रख पाना काफ़ी मुश्किल होता है। नकारात्मकता की वजह से इन लोगों की सेहत भी ख़राब हो जाती है।
नकारात्मक लोग संवेदनहीन होते हैं। ये लोग सिर्फ खुद के बारे में सोचते है। इनका ध्यान सिर्फ इनकी खुद की पसंद और नापसंद के बीच में उलझ कर रह जाता है। दूसरे लोगों की खुशियों के बारे में ये लोग कभी नहीं सोचते हैं। इन लोगों को स्वयं तो किसी की तकलीफ या परेशानी नहीं दिखती है लेकिन अगर इनको कोई चिल्ला चिल्लाकर भी अपनी तकलीफें बताये तो भी ये उनकी तकलीफ़ें नहीं समझते और अपने इस व्यवहार को अपने स्वभाव का हवाला देकर सही भी ठहराते हैं।
ऐसे लोग अपने स्वभाव को सर्वश्रेष्ठ समझते हैं इसलिए उसमें कभी भी बदलाव नहीं करते। अगर इनको समझाने का प्रयास करो तो “मैं तो ऐसा ही हूँ , कहकर सबका दिल दुखाते हैं। ऐसे लोग किसी भी रिश्ते को निभाने के लिए कोई प्रयत्न नहीं करते। अगर कोई इनके साथ निभा सके तो ठीक वरना ये अपने कीमती रिश्तों को भी ख़त्म कर देते है और बाद में रोते हैं लेकिन फिर भी अपने स्वभाव में बदलाव नहीं लाते।
नकारात्मक लोग अपने रिश्तों की कभी कद्र नहीं करते हैं। ऐसे व्यक्ति अपनों के द्वारा किये हुए प्रयास को उनका कर्तव्य समझकर उनका मूल्य नहीं करते ,उनके प्रयास को कभी नहीं सराहते हैं। ये लोग अपने आसपास के व्यक्ति को तथा उनके कार्य को सम्मान नहीं करते हैं।
ऐसे लोग अपने किसी भी उत्तरदायित्व को दिल से नहीं निभाते। जितने से काम चल जाये सिर्फ उतनी ही ज़िम्मेदारी निभाते हैं। ऐसे लोग दूसरों को उनका दायित्व बहुत याद दिलाते हैं लेकिन स्वयं का दायित्व उन्हें कभी याद नहीं रहता है। इसलिए इनके रिश्ते सबके साथ बदतर होते जाते हैं।
ऐसे व्यक्ति अपने आसपास के लोगों से ईर्ष्याभाव रखते हैं इसलिए उनकी योग्यताओं को कभी नहीं सराहते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने आसपास के लोगों से कभी कुछ सीखने का प्रयास नहीं करते बल्कि इनसे चिढ़ने में अपनी ऊर्जा व्यर्थ कर देते हैं। और अगर इनको कुछ कहो तो ये अपने आपको सर्वश्रेष्ठ साबित करने तथा सीखने वाले व्यक्ति को मूर्ख साबित करने में अपनी ऊर्जा गवाँ देते है लेकिन स्वयं को ज़रा भी बदलने का प्रयास नहीं करते हैं।
नकारात्मक लोग कहते हैं ,”मैं टूट सकता हूँ लेकिन झुक नहीं सकता। ” ऐसे लोग अपने ज़िद्दी और अड़ियल रवैये की डींगें हाँकते रहने में अपनी शान समझते है। ये लोग सिर्फ अपनी पसंदगी को महत्व देते हैं। दूसरे लोगों की पसंद – नापसंद इनके लिए मायने नहीं रखती। ये लोग परिवर्तन को कभी स्वीकार नहीं करते। ये लोग अपनी पूरी ज़िंदगी हताश होकर निराशा में गुज़ार देते हैं। लेकिन स्वयं में बदलाव कभी नहीं लाते।
नकारात्मक लोग अपनी तकलीफों का रोना रोते रहते हैं लेकिन वहाँ से निकलने के लिए कोई प्रयास नहीं करते हैं, ऐसे लोगों को समझाओ तो ये लोग सौ बहाने बता देंगे स्वयं के लिए आवाज़ नहीं उठाने के। ऐसे लोग अपने आप को दुनिया का सबसे दुखी प्राणी साबित करते हैं। ये लोग स्वयं का जीवन तो नरक समान बना देते हैं साथ ही अपनों का जीवन भी नकारात्मकता से भर देते हैं।
ऐसे लोग ना तो खुद खुश रहते हैं और ना ही दूसरों को रहने देते हैं। ऐसे व्यक्ति धीरे -धीरे समाज के लिए बोझ बन जाते हैं। इतना ही नहीं ये लोग अपने नकारात्मक नज़रिये को छुआछूत रोग की तरह अपने आसपास के लोगों और आने वाली पीढ़ियों तक फैला देते हैं।
नज़रिया को बनाने या विकसित करने वाले कारक
१. व्यक्ति जन्मजात नज़रिये के साथ ही जन्म लेते हैं। तभी एक ही घर में जन्म लेने वाले चार बच्चों का व्यवहार बिलकुल अलग- अलग होता है। चारों बच्चे अपने नज़रिये के अनुसार ही व्यवहार करते है।
जैसे किसी घर में यदि पिता शराब पीता हो तो उसके बच्चों पर अलग अलग प्रभाव पड़ता है। एक बच्चा बिलकुल अपने पिता जैसा बनना पसंद करता है जबकि दूसरा शराब कभी न पीने की कसम खा लेता है अर्थात बच्चा अपने नज़रिये के अनुसार किसी भी परिस्थिति को देखता है और यही देखने का नज़रिया उसकी शख्सियत का निर्माण करता है।
२. इसके अलावा हमारे आसपास के माहौल का भी हमारे ऊपर प्रभाव पड़ता है। घर, स्कूल ,समाज तथा देश में हो रही गतिविधियों का अच्छा या बुरा प्रभाव पड़ता है जो हमारे नज़रिये को भी प्रभावित करता है। कभी कभी इस प्रभाव के कारण व्यक्ति सकारात्मक से नकारात्मक तथा कभी इसका उल्टा भी हो जाता है। ये बदलाव इस बात पर निर्भर करता है कि किसी घटना की तीव्रता कितनी है।
३. शिक्षा का भी हमारे नज़रिया निर्माण में एक बहुत बड़ा योगदान है। इसीलिए हमें बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान देना चाहिए। हमारा ध्यान सिर्फ इस बात पर होता है कि हमारे बच्चे अच्छे से रोज़ी -रोटी कमाना सीख लें, हमारे बच्चे ज्यादा सफल बने ,सर्वगुणसम्पन्न बने लेकिन किसी का भी ध्यान इस तरफ नहीं है कि बच्चे अपने जीवन को हँसी -ख़ुशी के साथ जी पा रहे हैं कि नहीं। हमारे बच्चे ज़िंदगी को जीने का सही तरीका नहीं सीख रहे है। वे अपनी ज़िंदगी में आने वाली परेशानियों का सामना नहीं कर पाते हैं ,परिणामस्वरूप चिंता, अवसाद, कुंठा तथा निराशा उनके जीवन को अपनी गिरफ़्त में ले लेती है। ऐसी औपचारिक शिक्षा के कारण बच्चे तथा वयस्क सभी नकारात्मकता के शिकार हो रहे हैं।
४. जीवन में मिले अच्छे या बुरे अनुभव भी हमारे नज़रिये को प्रभावित करते हैं। अलग -अलग लोगों से मिले अनुभवों के कारण हमारा व्यवहार भी बदल जाता है। जहाँ अच्छे अनुभव हमें सकारात्मक बनाते हैं वहीं बुरे अनुभव हमें ज़्यादा सावधान बनाते हैं। अपने जीवन में मिले अनुभव के आधार पर हमारा नज़रिया बनता है जिसके आधार पर हम अपने भविष्य की रूपरेखा तय करते हैं और यही नज़रिया हमारी खुशियों या दुखों के लिए काफी हद तक ज़िम्मेदार होता है।
सकारात्मक नज़रिये के फ़ायदे
सकारात्मक नज़रिया उस अमृत के समान है जो किसी भी व्यक्ति का जीवन आनंदमय बना सकता है।

१.सकारात्मकता हमारी शख़्सियत को खुशनुमा बना देती है।
२. सकारात्मकता की वजह से जीवन में उत्साह बना रहता है। सकारात्मक व्यक्ति हर कार्य को उत्साह से करता है
३. सकारात्मक लोग खुद भी खुश रहते है और दूसरों को भी खुश रखते हैं।
४. सकारात्मक लोग ऐसा काम करते हैं कि उससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलती हैं।
५. सकारात्मक व्यक्ति जीवन में आने वाली विपरीत परिस्थितियों को भी अच्छे से सँभाल लेता हैं। इनका सकारात्मक व्यवहार विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल परिस्थिति में बदल देता है।
६. सकारात्मक नज़रिये वाले व्यक्तित्व को हर समस्या एक अवसर के रूप में दिखने लगती है। ऐसे लोग हर समस्या से लड़कर नए रास्ते निकालते हैं।
७. सकारात्मक नज़रिया असफलताओं के आगे कभी सिर नहीं झुकाता है। ऐसे लोग तब तक प्रयास करते हैं जब तक सफलता न मिल जाये।
८. सकारात्मकता का लक्ष्य हमेशा समस्या का समाधान होता है। सकारात्मक लोग समस्या से सबक लेते हैं लेकिन उनका लक्ष्य हमेशा समस्या का समाधान होता है।
९. ऐसे लोग समाज तथा देश के प्रति भी अपना उत्तरदायित्व समझते हैं तथा उसको पूरी शिद्दत से निभाते भी हैं।
१०. ऐसे व्यक्ति किसी भी संस्था या संगठन के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। ऐसे लोग पूरी संस्था के भले के लिए कार्य करते हैं। जिससे संस्था के कार्य की गुणवत्ता बढ़ जाती है।
११. सकारात्मक लोगों की वजह से किसी भी संस्था की उत्पादकता बढ़ जाती है। इनका सकारात्मक व्यवहार टीम के सभी सदस्यों को साथ लेकर चलता है। ऐसे लोग संस्था के विकास के साथ हर व्यक्ति के विकास के बारे में सोचते हैं। इसलिए संस्था में काम करने वाले लोग भी संस्था के विकास के लिए मिलकर काम करते हैं।
१२. सकारात्मक लोग संवेदनशील भी होते हैं इसलिए ये लोग सबका सुख और दुःख भी अच्छे से समझते हैं। जिससे इनके सबके साथ रिश्ते बहुत मधुर होते हैं।
१३. सकारात्मक व्यक्ति जहाँ जाते हैं पूरा माहौल खुशनुमा तथा सकारात्मक बना देते हैं। ये लोग बिना किसी उम्मीद के दूसरों की मदद करते हैं।
१४. ऐसे व्यक्ति जिस भी संस्था या संगठन के लिए काम करते है वहाँ ईमानदारी तथा वफादारी होती है।
१५. ऐसे व्यक्तियों के साथ काम करने पर सबको ही लाभ मिलता है। ऐसे व्यक्ति अपनी सकारात्मक व्यवहार से सबके जीवन को आनंदमय बना देते हैं और सबके जीवन को आशा तथा ऊर्जा से भर देते हैं।
१६. सकारात्मक व्यक्ति वाले लोगों में बहुत जोश भरा होता है जो कार्य करने की क्षमता को दस गुना तक बढ़ा देता है। ऐसे लोगों के साथ काम करने का मज़ा ही कुछ और होता है। ऐसे लोग हर समस्या को हँसते -हँसते सह लेते हैं और समस्याओं को भी हथियार बनाकर उसे सकारात्मक रूप में लेकर अद्भुत सफलता हासिल करते हैं।
सकारात्मक नजरिया किसी के भी जीवन को सुखमय तथा सफल बनाने के लिए बहुत आवश्यक है। अगर हमारा स्वभाव सकारात्मक तथा आशावादी है तब तो बहुत अच्छा है लेकिन अगर नहीं है तो भी इसे सकारात्मक बनाना ही होगा ताकि हम एक आनंदमय तथा संतुष्ट जीवन का आनंद उठा सके।
