karat karat abhyas ke jadmati hot sujan

सूक्ति का आशय
‘ करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान ‘ पंक्ति कवि वृंद द्वारा रचित ‘वृंद सतसई ‘ के दोहे ‘करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान ,रसरी आवत जात ते सिल पर परत निसान ‘से लिया गया है।
ये सूक्ति हमें बताती है कि निरंतर किये गए अभ्यास से मूर्ख व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है अर्थात निरंतर अभ्यास द्वारा हम अपने जीवन के कठिन से कठिन लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है। अतः मनुष्य को जब तक सफलता ना मिल जाये उसे निरन्तर प्रयास करते रहना चाहिए।
निरन्तर अभ्यास द्वारा किसी भी योग्यता को विकसित भी किया जा सकता है तथा पहले से मौजूद योग्यता को कई गुना तक बढ़ाकर किसी भी क्षेत्र में कुशलता हासिल की जा सकती है। अतः हम कह सकते है कि सफलता प्राप्त करने का एक ही मूल मंत्र है – निरंतर अभ्यास
जीवन में अभ्यास का महत्व
मानव जीवन में अभ्यास का बहुत महत्व है। अभ्यास द्वारा किसी भी ज्ञान को प्राप्त किया जा सकता है। निरंतर अभ्यास से हम असंभव कार्य को भी संभव बना सकते है।
अभ्यास का अर्थ है निरंतर सीखने का प्रयास करना तथा लगातार परिश्रम करके स्वयं की कमियों को दूर करके खुद को निखारना।

जो व्यक्ति बिना हिम्मत हारे हुए निरंतर अभ्यास करके खुद को निखारने तथा सँवारने का प्रयास करता रहता है वह धीरे धीरे इतना योग्य, कुशल तथा मजबूत बन जाता है कि सफलता स्वयं उस व्यक्ति के कदम चूमने को मजबूर हो जाती है अर्थात सफलता प्राप्त करना उसके बाएं हाथ का खेल हो जाता है | निरंतर अभ्यास द्वारा किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
सफलता का मूलमंत्र
सफलता का मूलमंत्र निरंतर किया जाने वाला अभ्यास ही है। अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता है तो अभ्यास ही एकमात्र विकल्प है। बिना अभ्यास अथवा मेहनत के हम कभी भी सफल नहीं हो सकते है। अगर कभी बिना प्रयास किये हुए कुछ पल के लिए सफलता मिल भी गयी तो वह स्थायी नहीं रहती , अभ्यास के अभाव में सफलता को असफलता में बदलने में समय नहीं लगता है। बिना अभ्यास के जैसे एक पल में सफलता आती है वैसे ही दूसरे पल में सफलता चली भी जाती है।

निरंतर अभ्यास द्वारा किसी भी व्यक्ति का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है। अभ्यास वह अमृत है जिसे पीकर कोई भी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता प्राप्त कर सकता है।
एक संगीतकार जीवन भर अभ्यास करने के उपरांत ही मधुर संगीत बना पता है।

मूर्ख कालिदास से महान कवि कालिदास का सफर अभ्यास के महत्व का जीता जागता उदाहरण है। कहा जाता है कि कालिदास कवि बनने के पहले मूर्ख थे । जिस डाल पर वह बैठे थे, उसी को काट रहे थे। उनका विवाह धोखे से एक सुन्दर और बुद्धिमान राजकुमारी विद्योत्तमा से करा दिया गया था। विवाह पश्चात् उनकी पत्नी को जब कालिदास के मूर्ख होने का पता चला तो उन्होंने कालिदास को घर से निकाल दिया, इस बात से कालिदास बहुत आहत हुए और उन्होंने कठिन अभ्यास करके ज्ञान प्राप्त किया और संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार के रूप में विख्यात हुए।

एक और उदाहरण द्वारा हम अभ्यास के महत्व को समझते है। थॉमस एडिसन की कहानी तो हम सभी जानते है जिनके अविष्कार की वजह से सारी दुनिया प्रकाश से जगमगा रही है।
थॉमस एडिसन को चार साल की आयु में मंदबुद्धि बताकर उनकी अध्यापिका ने स्कूल से निकाल दिया था। वे ऊँचा भी सुनते थे। बल्ब का अविष्कार करने के लिए वे निरंतर अभ्यास करते रहे।‘ करत करत अभ्यास ‘ अंततः दस हज़ार असफल प्रयास के पश्चात् उन्हें सफलता मिल ही गयी।
एडिसन का जीवन भी हमें यही बताता है कि करत करत अभ्यास हम एक दिन निश्चित ही कुशल बनकर सफल हो जाते है।

इसी प्रकार अब्राहम लिंकन अपने निरंतर अभ्यास से अंततः ५२ साल की आयु में अमेरिका के राष्ट्रपति बनने में सफल हो गए थे।
इसी प्रकार कई उदाहरण हैं जहाँ लोग निरंतर अभ्यास द्वारा प्रशिक्षित बने तथा अपनी योग्यता को निखारकर जीवन में अद्भुत सफलता अर्जित की।
अतः कहा जा सकता है कि “करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान” बहुत ही अर्थपूर्ण तथा उपयोगी सूक्ति है और इसको अपने व्यवहारिक जीवन में अपनाकर हम अपने जीवन की किसी भी बुलंदियों तक पहुँच सकते हैं , असंभव कार्य को भी संभव बना सकते है तथा एक सफल जीवन जी सकते है।
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[…] ‘ करत करत अभ्यास के , जड़मति होत सुजान ”क्लास १० के सैंपल पेपर में दिए बिंदुओं के आधार पर लिखे हुए निबंध को यहाँ पढ़ें https://vicharmanthan4u.com/%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%85%e0%a4%ad%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%b8-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%9c%e0%a4%a1%e0%a4%bc%e0%a4%ae%e0%a4%a4%e0%a4%bf/https://vicharmanthan4u.com/%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%85%e0%a4%… […]
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[…] जब तक अपनी मंज़िल तक ना पहुँच जाये। “ करत करत अभ्यास ते, जड़मति होत सुजान ”…अर्थात निरंतर किये गए अभ्यास से तो […]