असफलता क्या है | असफलता के कारण | असफलता को सफलता में कैसे बदलें
अगर बार बार असफलता मिल रही है तो पढ़िये ये अनुच्छेद 👈
असफलता का हर कदम हमें सफलता के करीब पहुँचाता है, बस ज़रूरत है बिना हारे हुए निरंतर प्रयास करते रहने का
एक बात हमेशा याद रखिये कि नामुमकिन कुछ भी नहीं है।

असफलता क्या है ?
असफलता एक वह एहसास है जहाँ व्यक्ति स्वयं को हारा हुआ महसूस करता है। कोई भी व्यक्ति एक बार भी असफल नहीं होना चाहता है। बार बार मिलने वाली असफलताओं से व्यक्ति निराश और परेशान हो जाते हैं।
लेकिन अगर सकारात्मक होकर सोचेंगे तो हम पाएंगे कि असफलता सफलता हासिल करने का राजमार्ग है। असफलता ही वह माध्यम है जिसकी वजह से हम बार बार प्रयास करके सफलता तक पहुँचते है। सफलता प्राप्त करने के प्रयास में असफलता का सामना होता ही है। बिना असफल हुए हम सफलता तक नहीं पहुँच सकते हैं। आई.बी.एम. के टॉम वाट्सन , सीनियर का कहना है कि “अगर आप सफल होना चाहते हैं तो अपनी असफलताओं की दर दूनी कर दीजिये।” सफलता की सारी कहानियों के साथ महान असफलताओं की कहानियाँ भी जुड़ी हुई हैं। फर्क बस इतना है कि सफल इंसान असफलताओं के आगे घुटने नहीं टेकते हैं बल्कि उनसे लड़कर अपनी सफलता की कहानी अपनी मेहनत और हौसलों के बल पर स्वयं लिखते हैं।
उदाहरण – असफलता की महत्ता को हम एक उदाहरण द्वारा समझने का प्रयास करते हैं। मान लीजिये आपको किसी इमारत की दूसरी मंज़िल पर जाना है। दूसरी मंज़िल तक पहुँचने के लिए आपको तीस सीढ़ियाँ चढ़नी है। अब आप सीढ़ियाँ चढ़ना शुरू करते हैं तो उनतीस सीढ़ियों तक आप असफल ही हो रहे हैं लेकिन क्योंकि आपने प्रयास करना जारी रखा इसलिए आप तीसवीं सीढ़ी अर्थात अपनी मंज़िल तक पहुँच पाएँ, तो अब सोचने की बात है कि उनतीस सीढ़ियाँ चढ़े बगैर क्या तीसवीं मंज़िल तक पहुँच पाना संभव है ? नहीं ना।
इसी प्रकार असफल हुए बिना हम सफल नहीं हो सकते हैं। इतिहास बताता है कि बड़े -बड़े विजेताओं को भी जीत से पहले निराश कर देने वाली बाधाओं तथा हार का सामना करना पड़ा है।
सफल लोगों की असफलताओं की कहानी

. थॉमस एडिसन को कौन नहीं जानता जिनके अविष्कार से सम्पूर्ण जगत में उजाला हो गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बल्ब के अविष्कार करते समय वे लगभग दस हज़ार बार असफल हुए थे ,फिर जाकर बल्ब का अविष्कार हुआ था, तो आप उन्हें सफल कहेंगे या असफल। हाँ , एडिसन सफल ही कहे जायेंगे क्योंकि दस हज़ार असफलताओं के बाद भी वे थक कर रुके नहीं जब तक उन्हें उनकी मंज़िल नहीं मिल गयी ,इसलिए एडिसन सफल लोगों श्रेणी में गिने जाते हैं।
. बीथोवेन जब युवा थे ,तो उनसे कहा गया था कि उनमें संगीत प्रतिभा नहीं है, तो क्या बीथोवेन निराश नहीं हुए होंगे ? लेकिन उनका असफलता के आगे सिर न झुकाने का नज़रिया तथा उनका निरंतर प्रयास ही उन्हें महान संगीतकार बना पाया था। हम सब जानते हैं कि उन्होंने अद्भुत संगीत को जन्म दिया है। वे एक महान संगीतकार थे।
. अब्राहम लिंकन जो की 52 साल की उम्र में अमरीका के राष्ट्रपति चुने गए। उन्होंने अपने पूरे जीवन में बहुत असफलताओं का सामना किया , लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अंततः विजयी होकर लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बने।
.बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन ने भी अपने करियर के शुरुआती दौर में बहुत असफलताओं का सामना किया लेकिन बाद में उन्हें अद्भुत सफलता मिली। सफलता मिलने के बाद एक बार फिर से वे असफलताओं से घिर गए थे लेकिन इस बार भी वे हिम्मत नहीं हारे। आज ये बॉलीवुड के सर्वोच्च शिखर पर विराजमान होकर सभी के दिलों में राज़ कर रहे हैं।
इसका मतलब तो ये हुआ कि असफलता हमारे सफल जीवन के लिए बहुत ज़रूरी है तो फिर हम असफलता से इतना डरते क्यों हैं ? क्या कारण है जो हम असफलता से घबरा कर हिम्मत हार जाते हैं और असफल लोगों की श्रेणी में आकर खड़े हो जाते हैं। आइये कुछ कारणों के बारे में जानने का प्रयास करते हैं।
असफलता के कारण

१. असफलता का सबसे बड़ा कारण है – धैर्य की कमी। धैर्य में कमी के कारण थोड़ी से असफलता मिलते ही हम घबरा जाते हैं और अपना काम बीच में छोड़ देते हैं। कभी कभी तो हम सफलता के एकदम करीब होते हैं लेकिन धैर्य की कमी और हिम्मत हारने की आदत के कारण हम सफलता मिलने के ठीक पहले अपना कार्य बीच में अधूरा छोड़ देते हैं और इस कारण अपने लक्ष्य से सदा के लिए दूर हो जाते हैं।
२. कभी- कभी निरंतर मिल रही असफलता इस बात का संकेत होती है कि शायद काम करने के तरीके में सुधार की आवश्यकता है, लेकिन हम अपने आपको सुधारना और निखारना बंद कर देते हैं जिसकी वजह से असफलताओं में ही अटक कर रह जाते हैं।
३. असफलता मिलने का एक बड़ा कारण ख़तरे उठाने से बचने का डर भी है, जिस भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना हो, उस क्षेत्र से सम्बन्धित कभी कुछ कठोर निर्णय भी लेने पड़ते हैं। कभी- कभी हमें थोड़े खतरे भी उठाने पड़ते हैं। खतरे उठाने का अर्थ ये नहीं है कि हम सोचे समझे बगैर कुछ भी ऊटपटाँग कामों को करना शुरू कर दें। ज़िम्मेदार ढंग से ख़तरे उठाने के लिए ज्ञान, प्रशिक्षण, ध्यानपूर्वक अध्ययन , आत्मविश्वास और काबिलियत की ज़रूरत होती है। ख़तरा सामने होने पर ये चीज़ें हमें उनका सामना करने की हिम्मत देती है और समस्याओं को सुलझाने की काबिलियत भी।
जो लोग ख़तरा नहीं उठाते हैं , वे लोग किसी काम को करने का प्रयास भी नहीं करते हैं, लेकिन कोशिश करके असफल होना ज्यादा अच्छा है बजाय हम कोशिश ही ना करें।
४. सुनियोजित और सुव्यवस्थित योजना का अभाव असफलता का एक बहुत बड़ा कारण है। लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक सुव्यवस्थित तथा सुनियोजित योजना की आवश्यकता होती है। योजना के अभाव में हमें पता ही नहीं होता है कि काम क्या और कहाँ करना है। हमारी मेहनत भी हमें कोई परिणाम नहीं दे पाती है। जैसे किसी व्यक्ति को मालूम ही न हो कि उसे कहाँ जाना है और वह एक जगह पर ही कूदता रहे। ऐसी अवस्था में उसकी ऊर्जा तो खर्च हो ही रही है लेकिन परिणाम कुछ नहीं नज़र आता और इंसान थक हारकर प्रयास करना बंद कर देता है और खुद को असफल मान लेता है।
५. असफलता का एक कारण हमारी तैयारी में कमी है। योजना बनाने के बाद हमें उस योजना से सम्बन्धित कार्यों की तैयारी करनी पड़ती है।
“जीतने की इच्छा सभी में होती है ,मगर जीतने के लिए तैयारी करने की इच्छा बहुत कम लोगों में होती है”- विंस लॉम्बार्डी
हम बिना पूरी तैयारी किये बिना आधी -अधूरी तैयारी के साथ कार्य करना शुरू कर देते हैं परिणामस्वरूप कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और इन मुश्किलों का सामना ना कर पाने की वजह से हम असफल हो जाते हैं।
६.कभी तो असफलता मिलने के डर से हम कोई नया कार्य करना शुरू ही नहीं करते हैं। उन्हें ये डर होता कि अगर वे असफल हो गए तो लोग उनका मज़ाक बनायेंगे और इस डर की वजह से वे कोई कार्य शुरू करने का प्रयास ही नहीं करते और निश्चित रूप से असफलता को चुन लेते हैं।
क्योंकि अगर हम कोई कार्य करने का प्रयास करेंगे तो हो सकता है कि पचास प्रतिशत हम असफल हो, लेकिन पचास प्रतिशत हम सफल भी हो सकते हैं।
किन्तु अगर हम कोई कार्य ही नहीं करेंगे तो सौ प्रतिशत हम असफल ही होंगे, ये परिणाम तो निश्चित है।
७.मेहनत की कमी भी असफलता का कारण है। सफल होने के लिए हमें बहुत सारे काम करने पड़ते हैं। कभी कुछ नया सीखना पड़ता है तो कभी लोगों को प्रशिक्षित करना पड़ता है। कभी कई-कई घंटे लगातार काम करना पड़ता है और उन कामों को अंजाम देने के लिए कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है। अगर हमारे अंदर कठिन परिश्रम करने की भावना और हिम्मत ना हो तो हम असफल हो जाते हैं।
८.असफलता का एक कारण हमारी कोशिश में कमी भी है। अगर हमें सफल होना है तो हमें तब तक प्रयास करना पड़ेगा , जब तक सफलता मिल न जाये। स्वयं को निखारते हुए निरंतर अभ्यास करते रहिये जब तक अपनी मंज़िल तक ना पहुँच जाये। “ करत करत अभ्यास ते, जड़मति होत सुजान ” अर्थात निरंतर किये गए अभ्यास से तो मूर्ख व्यक्ति भी बुद्धिमान हो जाता है, तो अगर सफल होने के लिए भी निरंतर अभ्यास किया जाये तो निश्चित ही सफलता एक ना एक दिन कदम अवश्य चूमती है।
९. कभी -कभी जल्दी सफल होने के लालच में हम गलत तथा अनैतिक रास्ते चुन लेते हैं जिसका अंत असफलता के रूप में भुगतना पड़ता है। कई बार आसान रास्ता बहुत सारी मुश्किलों से भरा होता है जिसका सामना करते करते हम परेशान तथा असफल हो जाते हैं।
१०आत्म -विश्वास की कमी भी असफलता का एक कारण है। आत्म -विश्वास की कमी के कारण व्यक्ति अपने लक्ष्यों को ठीक से चुन नहीं पाता ,और अगर चुन ले तो उस पर टिक नहीं पाता। ऐसे व्यक्तियों को खुद पर तथा खुद के फैसलों पर भरोसा नहीं होता है। ये आसानी से दूसरों के प्रभाव में आ जाते हैं जिसकी वजह से इनका ध्यान इनके लक्ष्य से हट जाता है और ये असफल हो जाते हैं।

११. असफलता का एक कारण अपना लक्ष्य अपनी रुचि का नहीं होना भी है। कभी दूसरों के प्रभाव या कभी डर की वजह से कोई ऐसा कार्य क्षेत्र चुन लेना जिसमें रुचि न हो तो उस कार्य को करने में मन नहीं लगता और जब मन नहीं लगता तो हम लक्ष्य प्राप्ति हेतु कठिन परिश्रम नहीं करते और असफल हो जाते हैं। असफलता मिलने के बाद तो बची -खुची रुचि भी चली जाती है और हम पूरी तरह से उस कार्य की त्याग देते हैं और खुद को असफल समझने लगते हैं।
१२. असफलता की एक बहुत बड़ी कमी अनुशासन की कमी भी है। शरीर और दिमाग को पूरी तरह से लक्ष्य प्राप्त करने के लिए तैयार करने के लिए आत्म -अनुशासन की आवश्यकता होती है। स्वयं को अनुशासित करना आसान नहीं है , अपने बहुत से सुख, आराम तथा इच्छाओं का बलिदान करना पड़ता है और ये दृढ़निश्चयी व्यक्ति ही करने में सक्षम हैं। साधारण व्यक्ति अपने आप को अनुशासित नहीं कर पाते हैं और इसीलिए असफल रह जाते हैं।
१३.असफलता का एक कारण अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करना है। इस श्रेणी के लोग अपनी गलतियों के लिए भी दूसरों पर आरोप लगाते हैं और इस कारण खुद की गलतियों को कभी नहीं सुधारते हैं इसलिए ऐसे व्यक्तियों की योग्यताएं कभी नहीं निखरती है। ऐसे लोग कभी नहीं सुधरते हैं और हर क्षेत्र में असफल हो जाते हैं।
१४ . मार्गदर्शन की कमी भी असफलता का कारण बन जाता है। कभी – कभी कार्य करने की इच्छा तो होती है , लक्ष्य भी पता होता है ,लेकिन लक्ष्य कैसे प्राप्त करें -ये नहीं पता होता है। उनका मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं होता। इस कारण इन्हें बहुत ज़्यादा मुश्किलों तथा निराशा का सामना करना पड़ता है लेकिन अगर मन में सफल होने की सच्ची लगन हो तो ये अपना रास्ता खुद ही बनाकर सफलतम लोगों की श्रेणी में अपना नाम दर्ज कराते हैं।
१५. टालमटोल की आदत भी हमें कार्य शुरू ही नहीं करने देती है। जब कार्य ही शुरू नहीं होगा तो हम सफल या असफल भी नहीं होंगे। बहुत ज्ञानी ,योग्य और व्यवस्थित व्यक्ति भी अपनी टालमटोल की आदत के कारण अपनी मनचाही मंज़िल को प्राप्त करने में असफल हो जाते हैं।
१६. किसी भी कार्य को करने में मन ना लगना भी असफलता का एक कारण है। मैंने अपने जीवन में कुछ ऐसे व्यक्तियों को देखा है जिनके हाथ में बहुत हुनर है लेकिन वे कोई कार्य करना ही नहीं चाहते और असफल जीवन जीते हैं। उन्हें तो बैठकर रोटी तोड़ने में ही आनन्द आता है फिर भले ही वह रोटी उन्हें अपमान सहने के बाद मिली हो , इस बात से इन्हें फर्क नहीं पड़ता।
१७. अपने किये गए कार्य को नापसंद करने के कारण भी हम पूरे मन से प्रयास नहीं करते हैं और असफल हो जाते हैं। मजबूरीवश हम वह काम करते हैं तो बस उतना ही करते हैं जितने में काम चल जाये।
जो काम हमारे लिए ज़रूरी हो ,उसे पसंद करने की आदत डाले ,धीरे -धीरे हमें उस काम को करने में भी आनंद आने लगेगा। जैसे एक माँ जब सो रही होती है तो उसे उस समय उठकर अपने बच्चे की देखभाल करना पसंद नहीं होता है ,लेकिन फिर भी वह करती है क्योंकि बच्चे को वह तकलीफ में नहीं छोड़ सकती है। अपने बच्चे को प्रसन्न देखकर वह भी प्रसन्न और संतुष्ट हो जाती है। एक माँ ज़रूरी काम को मन लगाकर करने के कारण ही अपने बच्चे को एक सफल परवरिश तथा संस्कारी जीवन देने में सफल हो जाती है और संतुष्टि का अनुभव करती है।
१८. नकारात्मक नज़रिया असफलता प्राप्त करने का सबसे महत्वपूर्ण कारण है। नकारात्मक नज़रिया हर काम में बुराई ढूँढ ही लेता है। नकारात्मक सोच वाले काम शुरू न करने तथा काम को बीच में छोड़ने के पचास बहाने ढूंढ़ लेते है। इनके पास तो अपनी असफलताओं की भी इतनी रोचक कहानी होती है कि कोई भी इनकी बातों में आ जाये। इन्हें अपनी असफलता स्वीकार है लेकिन ये अपनी नकारात्मक सोच को स्वीकार ही नहीं करते और न ही इस सोच को छोड़ने के लिए आसानी से तैयार होते हैं।
नकारात्मक सोच वाले लोग सिर्फ समस्याओं में उलझकर रह जाते हैं। ये लोग समस्या का समाधान नहीं निकालते हैं।
१९. अपनी योग्यता पर भरोसा न होने की वजह से हम बहुत बार असफल हो जाते हैं हमारा आत्मविश्वास गिर जाता है और हर कदम हम डर-डर के रखने लगते हैं। धीरे धीरे हम अपने काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहने लगते हैं और स्वयं कोई भी निर्णय नहीं ले पाते। हमारे काम का स्तर धीरे धीरे गिरने लगता है और हम असफलता में घिर चुके होते हैं।
२०. आर्थिक समस्याओं के कारण भी हम कई बार असफल हो जाते हैं। आर्थिक समस्याओं के कारण हम कई बार अपने लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में कदम उठा भी नहीं पाते हैं और कई बार आर्थिक संकट की वजह से शुरू किया गया काम बीच में छोड़ना पड़ता है।
२१. वचनबद्धता की कमी के कारण लोग अपना विश्वास खो देते हैं। लोग ऐसे लोगों पर विश्वास नहीं करते। इस कारण कोई भी इनके साथ काम करना नहीं पसंद करते हैं। जब तक ये लोग वचनबद्धता का मूल्य समझ पाते हैं तब तक तो बहुत देर हो चुकी होती है। लोग इनको छोड़कर आगे निकल चुके होते हैं।
वैसे भी एक बार खोया हुआ विश्वास दोबारा हासिल करना बहुत मुश्किल है।
२२. असभ्य व्यवहार भी असफलता का कारण बन जाता है। भले ही कोई व्यक्ति बहुत अच्छा ,योग्य, ईमानदार तथा असंख्य गुणों से भरा हुआ हो लेकिन उसका व्यवहार रुखा -सूखा तथा बोली कड़वी हो तो ऐसे व्यक्ति से लोग दूरी बनाना ज्यादा पसंद करते हैं।
२३. बेईमानी भी एक ऐसा अवगुण है जो सफलता की मंज़िल तक कभी नहीं पहुँचाता है। जैसे ही लोगों को इनके इस अवगुण के बारे में पता लगता है, लोग इनसे दूरी बना लेते हैं। कभी -कभी शुरुआती दौर में ये लोग थोड़ा सफल हो जाते हैं लेकिन जल्दी ही इनकी असलियत सबके सामने आ जाती है। ऐसे लोग फिर कभी लोगों का विश्वास हासिल नहीं कर पाते हैं और ये जीवनपर्यन्त के लिए असफल हो जाते हैं।
“बेईमानी से मिली असफलता का मिलन सफलता से कभी नहीं होता है।”
२४. समूह में कार्य करने की भावना का अभाव भी सफलता की राह का रोड़ा है। कुछ व्यक्ति किसी भी कार्य को करते समय सिर्फ अपना फायदा देखते हैं। ऐसे व्यक्ति समूह में काम करते हुए भी सिर्फ अपने विकास के लिए ही कार्य करते हैं। ये सबको साथ लेकर चलने में विश्वास नहीं करते हैं इसलिए लोग भी इनके साथ काम नहीं करना चाहते हैं और ऐसे लोग अलग -थलग पढ़कर निराश और दुखी हो जाते हैं और असफल हो जाते हैं।
२५. संवाद की कमी भी किसी भी क्षेत्र में असफल होने का कारण होता है। संवाद की कमी के कारण रिश्तों में दूरी आ जाती है। ग़लतफ़हमी की दीवार किसी भी क्षेत्र में रिश्तों को बीच में खट्टास उत्पन्न कर देती है। क्षेत्र कोई भी हो , कार्य तो व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। यदि किसी परिवार, संस्था या कंपनी में कार्य करने वाले व्यक्तियों के बीच में संबंध मधुर होता है ,अगर उन्हें आपस में बातचीत करने की आदत होती है तो वे किसी भी समस्या का समाधान मिलजुल के निकाल लेते हैं। इसके अलावा वहाँ माहौल भी बहुत प्यार भरा तथा आनंदमय होता है।
२६. संवेदना की कमी भी असफलता का बहुत बड़ा कारण है। संवेदनहीन व्यक्ति स्वार्थी होते है। ऐसे व्यक्ति सिर्फ अपना ही भला चाहते हैं। वे अपने पूरे समूह या या अपने अंदर काम करने वालों की भावनाओं की कद्र नहीं करते हैं। ऐसे हालात में इनके संगठन में भी प्यार करने वाले तथा सहयोगी किस्म के लोगों की कमी होती है। परिणामस्वरूप ऐसे व्यक्ति किसी भी क्षेत्र चाहे परिवार हो , समाज हो या कार्य क्षेत्र हर जगह असफल हो जाते हैं।
असफलता को सफलता में कैसे बदलें

असफलता को सफलता में बदलने के लिए कुछ थोड़े आसान और कुछ थोड़े मुश्किल से उपाय हैं जिन्हें अपनाकर हम सब एक सफल और खुशहाल जीवन जी सकते हैं, जो हम सबका जन्मसिद्ध अधिकार है।
एक बात हमेशा याद रखिये कि नामुमकिन कुछ भी नहीं है तो आइये शुरू करते हैं –
१. सबसे पहले तो हमें अपना सोचने का ढंग बदलना पड़ेगा। हमें अपनी सोच को सकारात्मक बनानी पड़ेगी। सकारात्मक सोच की वजह से हर चीज़ में अच्छाई ढूँढी जा सकती है जो कि हमें सफल होने में बहुत मदद करेगी।
२. हमें अपने जीवन में आने वाली हर समस्याओं को एक अवसर के रूप में देखना शुरू करना होगा। हर समस्या को चुनौती समझकर उससे भिड़ जाना होगा।
इससे हमें दो फायदे होंगे –
* पहला, हमारा सोचने का तरीका बदल चुका होगा। जैसे ही हमारे सामने कोई समस्या आएगी, हमारा दिमाग कहेगा ,”जीवन में कोई नया अवसर आया।” तो हम समस्या का सामना परेशान होकर नहीं करेंगे बल्कि चुनौती समझकर करेंगे।
* दूसरा, इस तरह से हम अपने व्यवहार में सकारात्मक सोच को अभ्यास में लाने का प्रयास करेंगे जिससे हम खुश रहना सीखेंगे और असफलता से कभी हार नहीं मानेंगे।
३. एक बात याद रखिये कि “मन के हारे हार है और मन के जीते जीत”
इसलिए हर चुनौती का डटकर सामना कीजिये ,हिम्मत कभी मत हारिये। ये हिम्मत ही हमें ऊँचाइयों तक पहुँचाती है।
४. ये कभी मत भूलिए कि “मंदिर में फर्श और भगवान की मूर्ति दोनों ही पत्थर की होती है लेकिन फर्श पर हम पाँव रखते हैं जबकि मूर्ति के हम पाँव पड़ते हैं।”
ऐसा क्यों होता है क्योंकि इस मूर्ति ने हथौड़ों की मार की पीड़ा सही होती है। मूर्तिकार ने इस मूर्ति को तराशने के लिए सालों लगाये हैं और मूर्ति भी बिना शिकायत किये हुए मूर्तिकार के हर हथौड़ों से मिले दर्द को बरसों सहती है तब जाकर किसी उच्च स्थान पर उसकी स्थापना होती है।
इसी प्रकार हम इंसान भी चुनौतियों का सामना करके श्रेष्ठ तथा महान बनते हैं और दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत भी। अगर हम असफलताओं से घबरा जायेंगे तो सफलता तक कैसे पहुँचेंगे ?
५. सफलता मंज़िल है तो असफलता रास्ता है इसलिए असफलता के रास्ते पर चले बिना सफलता नहीं मिलती।
६. अगर जीवन में असफलताएं न हो तो नई संभावनाओं का जन्म कभी नहीं होगा और ना ही नए आविष्कार होंगे। कठिन परिस्थितियों का सामना करते के लिए हम कुछ नए रास्ते निकाल लेते हैं और कई बार ये एक महान उपलब्धि साबित होती है।
७. अगर असफलता को सफलता में बदलना है तो अपने अंदर के शिष्य को हमेशा जीवित रखिये। जहाँ अवसर मिले, नई -नई चीज़ों को सीखने का आनंद उठाते रहिये। इस तरह से आपसे आपके सफलता के सिंहासन को कोई कभी भी नहीं छीन पायेगा। हमें अपने जीवन में बहता हुआ झरना बनने का प्रयास करना चाहिए जो हर हाल में, हर परिस्थिति में बहता रहता है इसीलिए झरने का पानी हमेशा साफ़ और निर्मल रहता है जबकि रुके हुए तालाब का पानी सड़ जाता है।
८. असफलता को सफलता में बदलने के लिए अपने ज्ञान को समय समय पर बढ़ाते रहिये। नई तकनीक को भी सीखते रहिये। आस -पास में होने वाले परिवर्तन को अपने नैतिक मूल्यों के आधार पर जाँच कर जो ठीक लगे ,उसे स्वीकार कीजिये।
९. सफल होना है तो जीवन में आने वाली समस्याओं पर नहीं उसके समाधान पर ज़्यादा ध्यान रखना चाहिए। समस्याओं की भी गंभीरता से जाँच पड़ताल करनी चाहिए जिससे भविष्य में वह गलती दोबारा न हो लेकिन जीवन का लक्ष्य हमेशा समाधान पर होना चाहिए ।
याद रखिये अगर जीवन में हमें कभी किसी की पहली गलती की वजह से कोई दुःख मिले तो इसमें अपना दोष नहीं होता , लेकिन यदि उसी गलती की वजह से ज़िंदगी में बार बार दुःख उठाना पड़े तो इसमें दोष हमारा ही होता है।
उपसंहार

असफलता को अच्छी तरह समझने के बाद ये तो अच्छे से समझ आ गया है कि असफलता के बिना सफलता पाना नामुमकिन है। असफलता वह रास्ता है जहाँ से होकर हम सफलता तक पहुँचते है। वास्तविकता ये है कि बिना असफल हुए हम कभी सफल नहीं हो सकते। असफलताएँ हमारे द्वारा किये गए प्रयास है जो हमें योग्य तथा सक्षम बनाते हैं जिनकी वजह से हम अपना लक्ष्य प्राप्त करके सफल हो पाते हैं।
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Great ma’am 🙏🏻😇. This is a beautiful and inspiring piece of wisdom. It emphasizes the importance of continuously learning and evolving in order to transform failures into successes. 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
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